Translated to Hindi by Dinesh Bijalwan
Festivals of Kumaon – Read in English
कुमाऊं के त्योहार हमेशा से प्रकृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और ये इस हिमालयी समाज की जड़ों से पारंपरिक रूप से गहरे से जुड़े हैं l यहां की चेतना में भूमि, जल , वायु और आकाश स्वाभाविक तौर पर शामिल हैं और रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं। जीवन निर्वाह के लिए प्रकृति पर निर्भरता से परिस्तिथिकी के लिए सम्मान की भावना पुष्ट होती गई और इसीलिए यहां के सांस्कृतिक जीवन में कृषि से जुड़े त्योहारों का बाहुल्य है। यह देव भूमि है, यह महज पर्यटन के बाजार को बढ़ावा देने के लिए दिया गया नारा मात्र नहीं है बल्कि पुश्तों से चला आ रहा विश्वास है l यह उन प्राकृतिक शक्तियों से हमारे जुड़ाव को दिखाता है जिन्हे हम पूजते हैं और अपना रक्षक समझते हैं।
यहां हमेशा से यह विश्वास रहा है कि हम पर पृथ्वी की रक्षा और संरक्षण का भार हैl
हिमालय के मंदिर व्यक्ति के रहन सहन, जीवन और उसके परिवेश के साथ उसके ता दम्य को दर्शाते हैंl यहां पूजा भी किसी पद्धति के बजाय सरल और तपस्या या आत्मसंयम पर आधारित है l यहां सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियां और विचारों में सर्वव्यापी भक्ति भावना की प्रधानता परंपरागत थी ।
बदलाव की हवा तेज है। जीवन में सौदेबाजी वाले आधुनिक दृष्टिकोण के कारण पूजा मे सादगी और निष्कप्टता तेजी से लुप्त होती जा रही है।
फसलों की कटाई के मौसम की आपाधापी के बाद लोग हर्षोल्लास, संगीत, नृत्य के साथ पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों को पुष्ट करने के साथ जश्न मनाते थे। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश पर संक्रान्ति मनाई जाती है और प्रत्येक संक्रान्ति पर एक मेले का अयोजन या एक त्योहार मनाया जाता है।
Festivals of Kumaon
The festivals of Kumaon are deeply connected to the traditional roots of this Himalayan community, which has always been an integral part of nature. The elements of earth, water, fire, air and space are an intrinsic part of everyday awareness. Dependence on nature for livelihoods has created a deep respect for natural ecology. Harvest festivals dominate the cultural ethos. At the same time, the ancestral faith that this is Devabhoomi, is not a marketing slogan to enourage tourism, but reflects the connection to those energies we respect and from whiom we seek protection. The traditional belief has always been that we are entrusted to protect and preserve the Earth.
The temples in the Himalayas are a reflection of this integration of the individual with his surroundings and with life and living. Worship is also simpler and based on tapasya or austerities, rather than form. Traditionally, cultural and social activity and thought was dominated by that pervading sense of worship.
The winds of change are strong, and the simplicity and sincerity of worship is fast getting eroded through the influence of modern and a more transactional approach to life.
After the ardour of harvesting season, people would celebrate through rejoicing, renewing social and familial ties and song and dance, that were part of the festivities. At the transition of the Sun from one constellation to another, Sankranti is observed. At each Sankranti or conjunction, a fair or festival marks this transition.