जल ही जीवन है जिस पर हम सभी का जीवन निर्भर है। वर्तमान संदर्भ पर जानकारों का मानना है कि तृतीय विश्व युध जल के लिये होगा। आज छ्तोला गाव पर अधिक नागरिकों के निवेश, व अपने अपने घर बनाने से गाव पर जल का अधिक संकट है। वही गाव के नागरिकों के सरल स्वभाव की आड़ पर कुछ बाहरी बिल्डर गाव के प्राचीन प्राकृतिक जल शोत्रो पर अतिक्रमण करने की साजिस कर रहे हैं ।
छ्तोला के कुछ नागरिकों को सूचना मिली कि एक जाने माने बिल्डर द्वारा गाव की बेनाप जमीन (सरकारी भूमि) को वह अपने कब्जे पर ले रहा है तथा पानी के धारे को भी अपनी सीमा के अंदर ले रहा है जो 100 वर्ष पुराना था व जिससे गाव के दर्जनों परिवार पानी पीते आये हैं । गाव के उर्जावान युवकों ने दिग्गज बिल्डर को उस स्थान पर आने को बोला जिस पर बिल्डर उक्त स्थान पर 2 गाड़ियों व अपने साथ 8 से 10 लोगों के साथ आया। गाव के नागरिकों ने उससे भूमि के दस्तावेज मांगे जिस पर वह गलत ढंग से अतिक्रमण कर रहा था तो उसने बोला कि मेरे पास इसके कोई दस्तावेज नहीं हैं व वह गाव वालो की बात को मानता है मौके पर की तरफ से उस नोले के पास बहुत अधिक मात्रा पर लोहे के एंगल व नुकीले तार रेता सीमेंट व मजदूर आदी थे।
गाव की अखंडता व अपने जल के प्रती उनका उग्र स्वभाव देख कर जाना माना बिल्डर वहा से भाग गया। बिल्डर ने सभी गाव वालो से हाथ जोड़कर विनती की कि आप लोग मेरे को माफ कर दे व कोई भी कानूनी कार्रवाई न करे। इस दौरान प्रत्येक परिवार से मात्र सक्ती व बच्चे भी वहा आ पहुचे। सबने बोला जल हम सबका है इसके लिये हम सब एक जुट हैं । इस दौरान छ्तोला से बिष्ट परिवार, भट्ट परिवार, रुवाली परिवार, जोशी परिवार, कपिल परिवार, नयाल परिवार व किशोरी लाल जी व हेम चंद आर्या जी व अनेकों परिवारों से लोगों ने आकर अपनी शक्ति का परिचय दिया।
अब छ्तोला पर नई ऊर्जा का संचार हो चुका है वह यही चाह्ती है कि अन्य गाव भी अपने आख कान खोले व अबसे सतर्क रहे। गाव के भोले स्वभाव को अब सतर्क रहने की जरुरत है।
अभी तो ये अंगराई है।
आगे और लड़ाई है।।